शिकायत तो आज भी मुझे खुद से है शब्बा खैर शायरी, गिला शिकवा << हमसे खेलती रही दुनिया ताश... या तो हमें मुक्कमल चालाकि... >> शिकायत तो आज भी मुझे खुद से है,खैर तुमसे तो इश्क़ ही रहेगा! Share on: